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प्यादे - मुबश्शिर अली ज़ैदी कविता - Darsaal

प्यादे

शतरंज की बिसात पर

बादशाह क़िल'अ-बंद रहता है

जंग वज़ीर लड़ता है

बादशाह की सारी उम्मीदें

वज़ीर से वाबस्ता यूँही हैं

वज़ीर अपने मोहरों को तहफ़्फ़ुज़ देता है

दूसरे के मोहरों को शिकार करता है

खेल आगे बढ़ता है

क़िलओं' में शिगाफ़ पड़ जाता है

वज़ीर अगले महाज़ पर लड़ते लड़ते

काम आ जाता है

लेकिन बाज़ी ख़त्म नहीं होती

बादशाह क़िलए' से निकलता है

प्यादों पर भरोसा करता है

प्यादे हौसला पाते हैं

राह की रुकावटें हटाते हैं

आगे बढ़ते बढ़ते

कुछ देर में

वज़ीर बन जाते हैं

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Payaade In Hindi By Famous Poet Mubashshir Ali Zaidi. Payaade is written by Mubashshir Ali Zaidi. Complete Poem Payaade in Hindi by Mubashshir Ali Zaidi. Download free Payaade Poem for Youth in PDF. Payaade is a Poem on Inspiration for young students. Share Payaade with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.