Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_eefe0281eef3da7f48606bb70d6f5d62, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वारिस - मुबश्शिर अली ज़ैदी कविता - Darsaal

वारिस

नबुव्वत का सिलसिला ख़त्म हो चुका

रऊनत का सिलसिला जारी है

अब कोई ज़माना

किसी नबी का ज़माना नहीं

हर दौर

एक फ़िरऔन का दौर है

जिस के क़ब्ज़े में

क़ारून का ख़ज़ाना है

जिस ने

अंबिया की मीरास पर क़ब्ज़ा कर लिया है

उसे पहचानना मुश्किल नहीं

उस के पास

तौहीन रिसालत की तलवार है

जो उस पर ईमान न लाएँ

वो लापता हो जाते हैं

जो ईमान ले आएँ

उन्हें वो ख़िज़्र की तरह तलाश कर लेता है

नूह की तरह

उस की कश्ती में

हर-नौ का जानवर है

उस के महल में

सुलैमान का तख़्त बिछा है

मुख़ालिफ़ीन के लिए

उस के क़ैद-ख़ाने में

ईसा की सूली है

फ़रिश्तों का लश्कर उसे सज्दा करता है

क्यूँकि उस की बग़ल में

मूसा का असा है

(2071) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Waris In Hindi By Famous Poet Mubashshir Ali Zaidi. Waris is written by Mubashshir Ali Zaidi. Complete Poem Waris in Hindi by Mubashshir Ali Zaidi. Download free Waris Poem for Youth in PDF. Waris is a Poem on Inspiration for young students. Share Waris with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.