मिरी ख़ाक भी उड़ेगी बा-अदब तिरी गली में
तिरे आस्ताँ से ऊँचा न मिरा ग़ुबार होगा
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कब उन आँखों का सामना न हुआ
इसे सौदा उसे सौदा ये दीवाना वो दीवाना
ताज़ा आज़ार का अरमान कहाँ जाता है
क्या कहें क्या क्या किया तेरी निगाहों ने सुलूक
तुम वक़्त पे कर जाते हो पैमान फ़रामोश
यूँ ये बदली काली काली जाएगी
ये घटा ऐसी घटा इतनी घटा
फूल क्या डालोगे तुर्बत पर मिरी
दिल लगाते ही तो कह देती हैं आँखें सब कुछ
लगा दे सोज़-ए-मोहब्बत फिर आग सीने में
बेगाना-ए-वफ़ा तिरा शेवा ही और है