Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b79ed5d69671a5c8e2979a1a490e4081, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दर्द-ए-दिल यार रहा दर्द से यारी न गई - मुबारक अज़ीमाबादी कविता - Darsaal

दर्द-ए-दिल यार रहा दर्द से यारी न गई

दर्द-ए-दिल यार रहा दर्द से यारी न गई

ज़िंदगी हम से तो बे-लुत्फ़ गुज़ारी न गई

दिन के नाले न गए रात की ज़ारी न गई

न गई दिल से कभी याद तुम्हारी न गई

हम तो ख़ूँ-गश्ता तमन्नाओं के मातम में रहे

सीना-कूबी न गई सीना-फ़िगारी न गई

इंतिज़ार आप का कब लुत्फ़ से ख़ाली निकला

राएगाँ रात किसी रोज़ हमारी न गई

बख़्शवाया मुझे तुम ने तो ख़ुदा ने बख़्शा

न गई रोज़-ए-जज़ा बात तुम्हारी न गई

लोग कहते हैं बदलता है ज़माना लेकिन

दिन हमारा न गया रात हमारी न गई

(656) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dard-e-dil Yar Raha Dard Se Yari Na Gai In Hindi By Famous Poet Mubarak Azimabadi. Dard-e-dil Yar Raha Dard Se Yari Na Gai is written by Mubarak Azimabadi. Complete Poem Dard-e-dil Yar Raha Dard Se Yari Na Gai in Hindi by Mubarak Azimabadi. Download free Dard-e-dil Yar Raha Dard Se Yari Na Gai Poem for Youth in PDF. Dard-e-dil Yar Raha Dard Se Yari Na Gai is a Poem on Inspiration for young students. Share Dard-e-dil Yar Raha Dard Se Yari Na Gai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.