मुबारक अज़ीमाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुबारक अज़ीमाबादी (page 3)
नाम | मुबारक अज़ीमाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mubarak Azimabadi |
जन्म की तारीख | 1849 |
मौत की तिथि | 1958 |
जन्म स्थान | Patna |
इक तिरी बात कि जिस बात की तरदीद मुहाल
इक मिरा सर कि क़दम-बोसी की हसरत इस को
दिन भी है रात भी है सुब्ह भी है शाम भी है
दिल में आने के 'मुबारक' हैं हज़ारों रस्ते
दिल लगाते ही तो कह देती हैं आँखें सब कुछ
दामन अश्कों से तर करें क्यूँ-कर
बिखरी हुई है यूँ मिरी वहशत की दास्ताँ
बेवफ़ा उम्र दग़ाबाज़ जवानी निकली
बेश ओ कम का शिकवा साक़ी से 'मुबारक' कुफ़्र था
असर हो या न हो वाइज़ बयाँ में
अपनी सी करो तुम भी अपनी सी करें हम भी
अब वही सैद है जो था सय्याद
आप का इख़्तियार है सब पर
आने में कभी आप से जल्दी नहीं होती
आइना सामने अब आठ पहर रहता है
यूँ ये बदली काली काली जाएगी
यहाँ क्या है वहाँ क्या है इधर क्या है उधर क्या है
या दूर मिरा हिजाब कर दे
तुम्हारी शर्त-ए-मोहब्बत कभी वफ़ा न हुई
तुम वक़्त पे कर जाते हो पैमान फ़रामोश
ताज़ा आज़ार का अरमान कहाँ जाता है
तमाशाई तो हैं तमाशा नहीं है
सितम करो न करो इख़्तियार बाक़ी है
समझाएँ किस तरह दिल-ए-ना-कर्दा-कार को
पूछी तक़्सीर तो बोले कोई तक़्सीर नहीं
फिर मिले हम उन से फिर यारी बढ़ी
पर्दे पर्दे में बहुत मुझ पे तिरे वार चले
नावक कहें सिनाँ कहें तलवार क्या कहें
न लाए ताब-ए-दीद औसान वाले
मोहब्बत में ठनी अक्सर यहाँ तक