एक ठंडी ओस में लिपटी नज़र की रौशनी है

एक ठंडी ओस में लिपटी नज़र की रौशनी है

और लबों पर गुज़रे वक़्तों की पुरानी चाशनी है

और मैं हूँ

फ़ल्सफ़ा रचने की धुन में बिस्तर पर सिलवटें हैं

अध-खुली आँखों में ख़्वाबों की धड़कती करवटें हैं

और मैं हूँ

ख़ुशबुओं से तर हवा में कोई बोझल शाम ढलती

रंग सारे हो गए बद-रंग फिर भी साँस चलती

और मैं हूँ

तुम नहीं हो और तुम्हारी याद के साए भी ग़ाएब

भूलते जाते हैं चाहत के मोहब्बत के सभी ढब

एक अन-सुलझी पहेली ज़िंदगी भर की तपस्या

और मैं हूँ सिर्फ़ मैं हूँ

(629) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek ThanDi Os Mein LipTi Nazar Ki Raushni Hai In Hindi By Famous Poet Moni Gopal Tapish. Ek ThanDi Os Mein LipTi Nazar Ki Raushni Hai is written by Moni Gopal Tapish. Complete Poem Ek ThanDi Os Mein LipTi Nazar Ki Raushni Hai in Hindi by Moni Gopal Tapish. Download free Ek ThanDi Os Mein LipTi Nazar Ki Raushni Hai Poem for Youth in PDF. Ek ThanDi Os Mein LipTi Nazar Ki Raushni Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek ThanDi Os Mein LipTi Nazar Ki Raushni Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.