सच को कहने का हौसला है मुझे

सच को कहने का हौसला है मुझे

अपने अंजाम का पता है मुझे

नींद से ख़्वाब हो गए रुख़्सत

ज़िंदगी जैसे इक सज़ा है मुझे

उस ने रग़बत से हाथ खींच लिया

अब कहाँ कोई सोचता है मुझे

दोस्ती का भरम ही तोड़ दिया

इन दिनों जाने क्या हुआ है मुझे

जिस की नींदों में ख़्वाब मेरे थे

जब से जागा है ढूँडता है मुझे

चंद जलते सवाल बुझता दिल

ज़िंदगी तू ने क्या दिया है मुझे

सारे रिश्ते जब उस ने तोड़ लिए

मुड़ के अब क्या पुकारता है मुझे

अब हूँ बुझते दिए सा सूरज था

इन हवालों को सोचना है मुझे

क्यूँ 'तपिश' उलझनों में उलझा है

इस के बारे में जानना है मुझे

(672) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sach Ko Kahne Ka Hausla Hai Mujhe In Hindi By Famous Poet Moni Gopal Tapish. Sach Ko Kahne Ka Hausla Hai Mujhe is written by Moni Gopal Tapish. Complete Poem Sach Ko Kahne Ka Hausla Hai Mujhe in Hindi by Moni Gopal Tapish. Download free Sach Ko Kahne Ka Hausla Hai Mujhe Poem for Youth in PDF. Sach Ko Kahne Ka Hausla Hai Mujhe is a Poem on Inspiration for young students. Share Sach Ko Kahne Ka Hausla Hai Mujhe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.