है किस का इंतिज़ार कि ख़्वाब-ए-अदम से भी
हर बार चौंक पड़ते हैं आवाज़-ए-पा के साथ
Allama Iqbal
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Faiz Ahmad Faiz
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Mohsin Naqvi
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Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
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दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया
है कुछ तो बात 'मोमिन' जो छा गई ख़मोशी
धो दिया अश्क-ए-नदामत ने गुनाहों को मिरे
ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना क्या देखने दूँ
जलता हूँ हिज्र-ए-शाहिद ओ याद-ए-शराब में
हुई तासीर आह-ओ-ज़ारी की
अब शोर है मिसाल-ए-जुदी इस ख़िराम को
चल दिए सू-ए-हरम कू-ए-बुताँ से 'मोमिन'
ऐ आरज़ू-ए-क़त्ल ज़रा दिल को थामना
ग़ैरों पे खुल न जाए कहीं राज़ देखना
माँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार की
एजाज़-ए-जाँ-दही है हमारे कलाम को