शोख़ कहता है बे-हया जाना

शोख़ कहता है बे-हया जाना

देखो दुश्मन ने तुम को क्या जाना

शोला-ए-दिल को नाज़-ए-ताबिश है

अपना जल्वा ज़रा दिखा जाना

शौक़ ने दूरबाश-ए-आदा को

उस की महफ़िल में मर्हबा जाना

उस के उठते ही हम जहाँ से उठे

क्या क़यामत है दिल का आ जाना

घर में ख़ुद-रफ़्तगी से धूम मची

क्यूँके हो उस तलक मिरा जाना

पूछना हाल-ए-यार है मंज़ूर

मैं ने नासेह का मुद्दआ' जाना

मय न उतरी गले से जो उस बिन

मुझ को यारों ने पारसा जाना

शिकवा करता है बे-नियाज़ी का

तू ने 'मोमिन' बुतों को क्या जाना

(654) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

ShoKH Kahta Hai Be-haya Jaana In Hindi By Famous Poet Momin Khan Momin. ShoKH Kahta Hai Be-haya Jaana is written by Momin Khan Momin. Complete Poem ShoKH Kahta Hai Be-haya Jaana in Hindi by Momin Khan Momin. Download free ShoKH Kahta Hai Be-haya Jaana Poem for Youth in PDF. ShoKH Kahta Hai Be-haya Jaana is a Poem on Inspiration for young students. Share ShoKH Kahta Hai Be-haya Jaana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.