कभी दर्द की तमन्ना कभी कोशिश-ए-मुदावा
कभी बिजलियों की ख़्वाहिश कभी फ़िक्र-ए-आशियाना
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मेरी शायरी और नक़्क़ाद
चश्म-ए-सवाल!
ग़मों की दुनिया को रौंद डालें नशात-ए-दिल पाएमाल कर लें
फ़ज़ा-ए-शब में सितारे हज़ार गुज़रे हैं
हज़ार बार किया अज़्म-ए-तर्क-ए-नज़्ज़ारा
शरीक-ए-महफ़िल-ए-दार-ओ-रसन कुछ और भी हैं
मेरे सिवा
ख़्वाब-ए-हस्ती
यही ज़िंदगी मुसीबत यही ज़िंदगी मसर्रत
बड़े नाज़ से आज उभरा है सूरज
अपनी निगाह-ए-शौक़ को रुस्वा करेंगे हम
तुझी से दाद-ए-वहशत लें तुझी को मेहरबाँ कर लें