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तवाइफ़ - मुईन अहसन जज़्बी कविता - Darsaal

तवाइफ़

अपनी फ़ितरत की बुलंदी पे मुझे नाज़ है कब

हाँ तिरी पस्त-निगाही से गिला है मुझ को

तू गिरा देगी मुझे अपनी नज़र से वर्ना

तेरे क़दमों पे तो सज्दा भी रवा है मुझ को

तू ने हर आन बदलती हुई इस दुनिया में

मेरी पाइंदगी-ए-ग़म को तो देखा होता

कलियाँ बे-ज़ार हैं शबनम के तलव्वुन से मगर

तू ने इस दीदा-ए-पुर-नम को तो देखा होता

हाए जलती हुई हसरत ये तिरी आँखों में

कहीं मिल जाए मोहब्बत का सहारा तुझ को

अपनी पस्ती का भी एहसास फिर इतना एहसास

कि नहीं मेरी मोहब्बत भी गवारा तुझ को

और ये ज़र्द से रुख़्सार ये अश्कों की क़तार

मुझ से बे-ज़ार मिरी अर्ज़-ए-वफ़ा से बे-ज़ार

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Tawaif In Hindi By Famous Poet Moin Ahsan Jazbi. Tawaif is written by Moin Ahsan Jazbi. Complete Poem Tawaif in Hindi by Moin Ahsan Jazbi. Download free Tawaif Poem for Youth in PDF. Tawaif is a Poem on Inspiration for young students. Share Tawaif with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.