मेरे सिवा

तू ही बतला कि भला मेरे सिवा दुनिया में

कौन समझेगा इन आँखों के तबस्सुम का गुदाज़

इन शरर-बार निगाहों में मगर मेरे सिवा

देख पाएगा भला कौन करम के अंदाज़

जिन फ़ज़ाओं में भटकते हैं ख़यालात तिरे

है वहाँ कौन ब-जुज़ मेरे तिरा हम-परवाज़

कौन पढ़ पाएगा तहरीर-ए-जबीन-ए-शफ़्फ़ाफ़

कस को मल सकता है बे-वज्ह तग़ाफ़ुल का जवाज़

कौन समझेगा ब-जुज़ मेरे तिरा हुज़्न-ओ-अलम

जब तिरे दोश पे बिखरी भी न वो ज़ुल्फ़-ए-दराज़

तो ही बतला कि भला कौन समझ पाएगा

तेरे होंटों से बहुत दूर तिरी आह का राज़

जज़्ब हो कर शब-ए-तारीक के सन्नाटे में

कौन इस तरह सुनेगा तिरे दिल की आवाज़

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Mere Siwa In Hindi By Famous Poet Moin Ahsan Jazbi. Mere Siwa is written by Moin Ahsan Jazbi. Complete Poem Mere Siwa in Hindi by Moin Ahsan Jazbi. Download free Mere Siwa Poem for Youth in PDF. Mere Siwa is a Poem on Inspiration for young students. Share Mere Siwa with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.