Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_35b84a6a5fda12163c95b781bfc7e27c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़्वाब-ए-हस्ती - मुईन अहसन जज़्बी कविता - Darsaal

ख़्वाब-ए-हस्ती

वो ज़माने और थे जब तेरा ग़म सहता था मैं

जब तिरे होंटों की रंगीनी से कुछ कहता था मैं

जब तिरे बालों से घंटों खेलता रहता था मैं

भूल जा ऐ दोस्त वो रंगीं ज़माने भूल जा

यक-ब-यक बिजली सी चमकी और नशेमन लुट गया

तू ने बरसों जिस को सींचा था वो गुलशन लुट गया

तू ने मोती जिस में टाँके थे वो दामन लुट गया

भूल जा ऐ दोस्त वो रंगीं ज़माने भूल जा

तुझ को जिस दिल से मोहब्बत थी वो अब दिल ही नहीं

रक़्स जिस का तुझ को भाता था वो बिस्मिल ही नहीं

रंग-ए-महफ़िल तुझ से क्या कहिए वो महफ़िल ही नहीं

भूल जा ऐ दोस्त वो रंगीं ज़माने भूल जा

अब न वो शौक़-ए-तसव्वुर, अब न वो ज़ौक़-ए-फ़ुग़ाँ

मिट रहे हैं रफ़्ता रफ़्ता अहद-ए-रफ़्ता के निशाँ

धुँदली धुँदली सी नज़र आती हैं कुछ परछाइयाँ

भूल जा ऐ दोस्त वो रंगीं ज़माने भूल जा

ये जवानी, ये परेशानी, ये पैहम इज़्तिराब

बार-हा उलझन में दौड़ा हूँ सू-ए-जाम-ए-शराब

बार-हा घबरा के छेड़ा है गुनाहों का रबाब

भूल जा ऐ दोस्त वो रंगीं ज़माने भूल जा

रंग-ए-सहबा और है सहबा की मस्ती और है

ज़िक्र-ए-पस्ती और है एहसास-ए-पस्ती और है

ख़्वाब-ए-हस्ती और है ताबीर-ए-हस्ती और है

भूल जा ऐ दोस्त वो रंगीं ज़माने भूल जा

(744) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHwab-e-hasti In Hindi By Famous Poet Moin Ahsan Jazbi. KHwab-e-hasti is written by Moin Ahsan Jazbi. Complete Poem KHwab-e-hasti in Hindi by Moin Ahsan Jazbi. Download free KHwab-e-hasti Poem for Youth in PDF. KHwab-e-hasti is a Poem on Inspiration for young students. Share KHwab-e-hasti with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.