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आज़ार - मुईन अहसन जज़्बी कविता - Darsaal

आज़ार

क्या ख़बर थी ये तिरे फूल से भी नाज़ुक होंट

ज़हर में डूबेंगे कुम्हलाएँगे मुरझाएँगे

किस को मालूम था ये हश्र तिरी आँखों का

नूर के सोते भी तारीकी में खो जाएँगे

तेरी ख़ामोश वफ़ाओं का सिला क्या होगा

मेरे ना-कर्दा गुनाहों की सज़ा क्या होगी

क़हक़हे होंगे कि अश्कों की तरन्नुम-रेज़ी

दिल-ए-वहशी तिरे जीने की अदा क्या होगी

कोई उलझा हुआ नग़्मा कोई सुलझा हुआ गीत

कौन जाने लब-ए-शायर की नवा क्या होगी

हाँ मगर दिल है कि धड़के ही चला जाता है

इस से बढ़ कर कोई तौहीन-ए-वफ़ा क्या होगी

और ये शोर गरजते हुए तूफ़ानों का

एक सैलाब सिसकते हुए इंसानों का

हर तरफ़ सैकड़ों बल खाती धुवें की लहरें

हर तरफ़ ढेर झुलसते हुए अरमानों का

ज़िंदगी और भी कुछ ख़्वार हुई जाती है

अब तो जो साँस है आज़ार हुई जाती है

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Aazar In Hindi By Famous Poet Moin Ahsan Jazbi. Aazar is written by Moin Ahsan Jazbi. Complete Poem Aazar in Hindi by Moin Ahsan Jazbi. Download free Aazar Poem for Youth in PDF. Aazar is a Poem on Inspiration for young students. Share Aazar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.