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आह भी इक कोशिश-ए-नाकाम है मेरे लिए - मुईन अहसन जज़्बी कविता - Darsaal

आह भी इक कोशिश-ए-नाकाम है मेरे लिए

आह भी इक कोशिश-ए-नाकाम है मेरे लिए

ऐसी सहबा-ए-कुहन और ख़ाम है मेरे लिए

ज़िंदगी इक शोरिश-ए-आलाम है मेरे लिए

जो नफ़स है गर्दिश-ए-अय्याम है मेरे लिए

शायरी ही वज्ह-ए-नंग-ओ-नाम है मेरे लिए

और जो कुछ है वो सब इल्ज़ाम है मेरे लिए

मेरी अर्ज़-ए-शौक़ बे-म'अनी है उन के वास्ते

उन की ख़ामोशी भी इक पैग़ाम है मेरे लिए

ये मिरी आशुफ़्ता-ए-हाली ये मिरी आवारगी

जैसे सारी गर्दिश-ए-अय्याम है मेरे लिए

किस क़दर मासूम कैसी गर्म कितनी दिल-नवाज़

वो निगाह-ए-नाज़ जो बद-नाम है मेरे लिए

आज क्या होने को है ऐ गर्दिश-ए-हफ़्त-आसमाँ

हर सितारा लर्ज़ा-बर-अंदाम है मेरे लिए

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Aah Bhi Ek Koshish-e-nakaam Hai Mere Liye In Hindi By Famous Poet Moin Ahsan Jazbi. Aah Bhi Ek Koshish-e-nakaam Hai Mere Liye is written by Moin Ahsan Jazbi. Complete Poem Aah Bhi Ek Koshish-e-nakaam Hai Mere Liye in Hindi by Moin Ahsan Jazbi. Download free Aah Bhi Ek Koshish-e-nakaam Hai Mere Liye Poem for Youth in PDF. Aah Bhi Ek Koshish-e-nakaam Hai Mere Liye is a Poem on Inspiration for young students. Share Aah Bhi Ek Koshish-e-nakaam Hai Mere Liye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.