Ghazals of Moin Ahsan Jazbi (page 1)
नाम | मुईन अहसन जज़्बी |
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अंग्रेज़ी नाम | Moin Ahsan Jazbi |
जन्म की तारीख | 1912 |
मौत की तिथि | 2005 |
वही कसीफ़ घटाएँ वही भयानक रात
उदासियों के सिवा दिल की ज़िंदगी क्या है
तुझ से नज़र मिला कर दीवाना हो गया मैं
तुझी से दाद-ए-वहशत लें तुझी को मेहरबाँ कर लें
शिकवा ज़बान से न कभी आश्ना हुआ
शरीक-ए-महफ़िल-ए-दार-ओ-रसन कुछ और भी हैं
शमीम-ए-ज़ुल्फ़ ओ गुल-ए-तर नहीं तो कुछ भी नहीं
सर्व-ओ-समन भी मौज-ए-नसीम-ए-सहर भी है
फिर इशरत-ए-साहिल याद आई फिर शोरिश-ए-तूफ़ाँ भूल गए
न कोई आह न कोई ख़लिश न दर्द न ग़म
मिले मुझ को ग़म से फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना
मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ जीने की तमन्ना कौन करे
कूचा-ए-यार में अब जाने गुज़र हो कि न हो
कितनी बुलंदियों पे सर-ए-दार आए हैं
कितनी बुलंदियों पे सर-ए-दार आए हैं
जब कभी किसी गुल पर इक ज़रा निखार आया
इस बुत के हर फ़रेब पे क़ुर्बान से रहे
इंतिहा-ए-ग़म में मुझ को मुस्कुराना आ गया
हम एक ख़्वाब लिए माह ओ साल से गुज़रे
हम दहर के इस वीराने में जो कुछ भी नज़ारा करते हैं
ग़मों की दुनिया को रौंद डालें नशात-ए-दिल पाएमाल कर लें
ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं
फ़ुज़ूल राज़ मोहब्बत का सब छुपाते हैं
फ़ज़ा-ए-शब में सितारे हज़ार गुज़रे हैं
दिल सर्द हो तो वा लब-ए-गुफ़्तार क्या करें
दिल में कुछ सोज़-ए-तमन्ना के निशाँ मिलते हैं
दाना-ए-ग़म न महरम-ए-राज़-ए-हयात हम
दाग़-ए-ग़म दिल से किसी तरह मिटाया न गया
चमन में थे जो चमन ही की दास्तान सुनते
बीते हुए दिनों की हलावत कहाँ से लाएँ