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मुईन अहसन जज़्बी Couplets In Hindi - Best मुईन अहसन जज़्बी Couplets Shayari & Poems - Darsaal

Coupletss of Moin Ahsan Jazbi

Coupletss of Moin Ahsan Jazbi
नाममुईन अहसन जज़्बी
अंग्रेज़ी नामMoin Ahsan Jazbi
जन्म की तारीख1912
मौत की तिथि2005

ज़ब्त-ए-ग़म बे-सबब नहीं 'जज़्बी'

यूँ बढ़ी साअत-ब-साअत लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-फ़िराक़

यही ज़िंदगी मुसीबत यही ज़िंदगी मसर्रत

या अश्कों का रोना था मुझे या अक्सर रोता रहता हूँ

उस ने इस तरह मोहब्बत की निगाहें डालीं

तू और ग़म-ए-उल्फ़त 'जज़्बी' मुझ को तो यक़ीं आए न कभी

तिरी रुस्वाई का है डर वर्ना

रिसते हुए ज़ख़्मों का हो कुछ और मुदावा

न आए मौत ख़ुदाया तबाह-हाली में

मुस्कुरा कर डाल दी रुख़ पर नक़ाब

मुख़्तसर ये है हमारी दास्तान-ए-ज़िंदगी

मिले मुझ को ग़म से फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना

मेरी ही नज़र की मस्ती से सब शीशा-ओ-साग़र रक़्साँ थे

मेरी अर्ज़-ए-शौक़ बे-मअ'नी है उन के वास्ते

मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ जीने की तमन्ना कौन करे

क्या मातम उन उम्मीदों का जो आते ही दिल में ख़ाक हुईं

कभी दर्द की तमन्ना कभी कोशिश-ए-मुदावा

जो आग लगाई थी तुम ने उस को तो बुझाया अश्कों ने

जब तुझ को तमन्ना मेरी थी तब मुझ को तमन्ना तेरी थी

जब मोहब्बत का नाम सुनता हूँ

जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किस को थी

जब कभी किसी गुल पर इक ज़रा निखार आया

हज़ार बार किया अज़्म-ए-तर्क-ए-नज़्ज़ारा

हमीं हैं सोज़ हमीं साज़ हैं हमीं नग़्मा

इक प्यास भरे दिल पर न हुई तासीर तुम्हारी नज़रों की

दिल-ए-नाकाम थक के बैठ गया

अल्लाह-रे बे-ख़ुदी कि चला जा रहा हूँ मैं

ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से

अभी सुमूम ने मानी कहाँ नसीम से हार

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