वो जब भी पुकारेगा यहाँ आन रहेंगे
वो जब भी पुकारेगा यहाँ आन रहेंगे
हम ख़ाक-नशीं बे-सर-ओ-सामान रहेंगे
हंगाम-ए-जहाँ तुझ में परेशान रहेंगे
या दश्त-ए-तिलिस्मात में हैरान रहेंगे
साया भी यहाँ दूर ज़रा हम से चलेगा
ये शहर ही ऐसा है कि अंजान रहेंगे
ऐ अक़्ल नहीं आएँगे बातों में तिरी हम
नादान थे नादान हैं नादान रहेंगे
सुन ख़ू-ए-तरब शहर-ए-निगाराँ की तरफ़ जा
हम अहल-ए-जुनूँ सू-ए-बयाबान रहेंगे
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