Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_dd032a591e4bda96df9b8f127c298659, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लगता है तबाही मिरी क़िस्मत से लगी है - मुईद रशीदी कविता - Darsaal

लगता है तबाही मिरी क़िस्मत से लगी है

लगता है तबाही मिरी क़िस्मत से लगी है

ये कौन सी आँधी मिरे अंदर से उठी है

उस बार उजालों ने मुझे घेर लिया था

इस बार मिरी रात मिरे साथ चली है

कैसे कोई बस्ती मिरे अंदर उतर आए

इस बार तो तन्हाई मिरी जाग रही है

कैसे कोई दरिया मिरे सीने से गुज़र जाए

रस्ते में अना की मिरी दीवार खड़ी है

वीरान हवेली की तरह अब मिरे अंदर

भटकी हुई रूहों की सदा गूँज रही है

इस बार अंधेरा मिरे नस नस में भरा है

इस बार चराग़ों से शिकायत भी बड़ी है

(695) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Lagta Hai Tabahi Meri Qismat Se Lagi Hai In Hindi By Famous Poet Moid Rashidi. Lagta Hai Tabahi Meri Qismat Se Lagi Hai is written by Moid Rashidi. Complete Poem Lagta Hai Tabahi Meri Qismat Se Lagi Hai in Hindi by Moid Rashidi. Download free Lagta Hai Tabahi Meri Qismat Se Lagi Hai Poem for Youth in PDF. Lagta Hai Tabahi Meri Qismat Se Lagi Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Lagta Hai Tabahi Meri Qismat Se Lagi Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.