एक हंगामा शब-ओ-रोज़ बपा रहता है

एक हंगामा शब-ओ-रोज़ बपा रहता है

ख़ाना-ए-दिल में निहाँ जैसे ख़ुदा रहता है

मेरे अंदर ही कोई जंग छड़ी है शायद

मेरे अंदर ही कोई दश्त-ए-बला रहता है

जब भी नज़दीक से महसूस किया है ख़ुद को

मैं ने देखा है कोई मुझ से ख़फ़ा रहता है

हम तो आबाद जज़ीरों से गुज़र जाते हैं

और फिर दूर तलक एक ख़ला रहता है

ख़ामुशी का पस-ए-दीवार-ए-जुनूँ है साया

इस तरफ़ सिलसिला-ए-आह-ओ-बुका रहता है

(654) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Hangama Shab-o-roz Bapa Rahta Hai In Hindi By Famous Poet Moid Rashidi. Ek Hangama Shab-o-roz Bapa Rahta Hai is written by Moid Rashidi. Complete Poem Ek Hangama Shab-o-roz Bapa Rahta Hai in Hindi by Moid Rashidi. Download free Ek Hangama Shab-o-roz Bapa Rahta Hai Poem for Youth in PDF. Ek Hangama Shab-o-roz Bapa Rahta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Hangama Shab-o-roz Bapa Rahta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.