Ghazals of Moid Rashidi

Ghazals of Moid Rashidi
नाममुईद रशीदी
अंग्रेज़ी नामMoid Rashidi
जन्म की तारीख1988
जन्म स्थानDelhi

ये मोजज़ा है कि मैं रात काट देता हूँ

ये हिजरतों के तमाशे, ये क़र्ज़ रिश्तों के

वो जब भी पुकारेगा यहाँ आन रहेंगे

मकाँ से दूर कहीं ला-मकाँ में बैठ गई

मैं कोई दश्त मैं दीवार नहीं कर सकता

लगता है तबाही मिरी क़िस्मत से लगी है

इश्क़ में लज़्ज़त-ए-आज़ार निकल आती है

फ़सील-ए-शहर से क्यूँ सब के सब निकल आए

एक हंगामा शब-ओ-रोज़ बपा रहता है

दिल ये कहता है हार कर देखें

दरून-ए-ज़ात हुजूम-ए-अज़ाब ठहरा है

अपने अंदर के अंधेरे को जलाया मैं ने

आसार-ए-जुनूँ बे-सर-ओ-सामाँ नहीं होते

आँखों में शब उतर गई ख़्वाबों का सिलसिला रहा

आज कुछ सूरत-ए-अफ़्लाक जुदा लगती है

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