Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e960760b15e84ce9658c2933c5155449, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दूर तक सब्ज़ा कहीं है और न कोई साएबाँ - मोहसिन ज़ैदी कविता - Darsaal

दूर तक सब्ज़ा कहीं है और न कोई साएबाँ

दूर तक सब्ज़ा कहीं है और न कोई साएबाँ

ज़ेर-ए-पा तपती ज़मीं है सर पे जलता आसमाँ

जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुई

वक़्त ने ख़त ऐसा खींचा मेरे उस के दरमियाँ

अब के सैलाब-ए-बला सब कुछ बहा कर ले गया

अब न ख़्वाबों के जज़ीरे हैं न दिल की कश्तियाँ

लुत्फ़ उन का अब हुआ तो है मगर कुछ इस तरह

जैसे सहरा से गुज़र जाए कोई अब्र-ए-रवाँ

मुनहसिर है ऐसी इक बुनियाद पर उस का यक़ीं

जिस तरह दोश-ए-हवा पर कोई तिनकों का मकाँ

बे-ज़बानों से ख़मोशी का गिला कैसा कि जब

सो गए लफ़्ज़ों की चादर तान कर अहल-ए-ज़बाँ

ये सफ़र कैसा है 'मोहसिन' जितना बढ़ते जाइए

बढ़ती जाएँ उतनी ही मंज़िल-ब-मंज़िल दूरियाँ

(559) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dur Tak Sabza Kahin Hai Aur Na Koi Saeban In Hindi By Famous Poet Mohsin Zaidi. Dur Tak Sabza Kahin Hai Aur Na Koi Saeban is written by Mohsin Zaidi. Complete Poem Dur Tak Sabza Kahin Hai Aur Na Koi Saeban in Hindi by Mohsin Zaidi. Download free Dur Tak Sabza Kahin Hai Aur Na Koi Saeban Poem for Youth in PDF. Dur Tak Sabza Kahin Hai Aur Na Koi Saeban is a Poem on Inspiration for young students. Share Dur Tak Sabza Kahin Hai Aur Na Koi Saeban with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.