Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_dbce4ccb9f4138158e570cc8351c4ee0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक पल में ज़िंदगी भर की उदासी दे गया - मोहसिन नक़वी कविता - Darsaal

एक पल में ज़िंदगी भर की उदासी दे गया

एक पल में ज़िंदगी भर की उदासी दे गया

वो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गया

नोच कर शाख़ों के तन से ख़ुश्क पत्तों का लिबास

ज़र्द मौसम बाँझ-रुत को बे-लिबासी दे गया

सुब्ह के तारे मिरी पहली दुआ तेरे लिए

तू दिल-ए-बे-सब्र को तस्कीं ज़रा सी दे गया

लोग मलबों में दबे साए भी दफ़नाने लगे

ज़लज़ला अहल-ए-ज़मीं को बद-हवासी दे गया

तुंद झोंके की रगों में घोल कर अपना धुआँ

इक दिया अंधी हवा को ख़ुद-शनासी दे गया

ले गया 'मोहसिन' वो मुझ से अब्र बनता आसमाँ

उस के बदले में ज़मीं सदियों की प्यासी दे गया

(3604) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Pal Mein Zindagi Bhar Ki Udasi De Gaya In Hindi By Famous Poet Mohsin Naqvi. Ek Pal Mein Zindagi Bhar Ki Udasi De Gaya is written by Mohsin Naqvi. Complete Poem Ek Pal Mein Zindagi Bhar Ki Udasi De Gaya in Hindi by Mohsin Naqvi. Download free Ek Pal Mein Zindagi Bhar Ki Udasi De Gaya Poem for Youth in PDF. Ek Pal Mein Zindagi Bhar Ki Udasi De Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Pal Mein Zindagi Bhar Ki Udasi De Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.