बिसात-ए-ज़ात पथराई तो जाना

बिसात-ए-ज़ात पथराई तो जाना

ख़बर अख़बार में आई तो जाना

सफ़र आसाँ नहीं है पानियों का

जो तलवे आ गई काई तो जाना

लहू क्या चीज़ है इज़हार क्या है

ग़ज़ल कुछ और बल खाई तो जाना

तो वो भी झूट-चेहरा जी रहा था

जो उस की आँख भर आई तो जाना

विरासत सारी अपने नाम कर ली

मगर उस ने मुझे भाई तो जाना

घरौंदे में भी इक आतिश-कदा था

हमारी जाँ पे बन आई तो जाना

थी 'मोहसिन' ये भी जिंस-ए-ना-मुबारक

हुई शोहरत की रुस्वाई तो जाना

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Bisat-e-zat Pathrai To Jaana In Hindi By Famous Poet Mohsin Jalganvi. Bisat-e-zat Pathrai To Jaana is written by Mohsin Jalganvi. Complete Poem Bisat-e-zat Pathrai To Jaana in Hindi by Mohsin Jalganvi. Download free Bisat-e-zat Pathrai To Jaana Poem for Youth in PDF. Bisat-e-zat Pathrai To Jaana is a Poem on Inspiration for young students. Share Bisat-e-zat Pathrai To Jaana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.