मिरी नवा मिरी तदबीर तक नहीं पहुँची

मिरी नवा मिरी तदबीर तक नहीं पहुँची

ये मेरे ख़्वाब की ता'बीर तक नहीं पहुँची

तिरे जमाल का परतव अज़ीज़ है लेकिन

तिरी अदा तिरी तस्वीर तक नहीं पहुँची

यही बहुत है कि हम मंज़िलों से हो आए

हमारी कज-रवी ताख़ीर तक नहीं पहुँची

कमाँ से कैसी शिकायत कि वो है ना-बीना

हदफ़ की बे-निगही तीर तक नहीं पहुँची

हमारे दिल से उठी हौसला-शिकन आवाज़

मगर ये पाँव की ज़ंजीर तक नहीं पहुँची

सिसक रही है जो दहलीज़-ख़ाना में दीमक

हज़ार शुक्र कि शहतीर तक नहीं पहुँची

हवा में उठते रहे हाथ बे-सबब 'मोहसिन'

चमक दुआओं की तासीर तक नहीं पहुँची

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Meri Nawa Meri Tadbir Tak Nahin Pahunchi In Hindi By Famous Poet Mohsin Ehsan. Meri Nawa Meri Tadbir Tak Nahin Pahunchi is written by Mohsin Ehsan. Complete Poem Meri Nawa Meri Tadbir Tak Nahin Pahunchi in Hindi by Mohsin Ehsan. Download free Meri Nawa Meri Tadbir Tak Nahin Pahunchi Poem for Youth in PDF. Meri Nawa Meri Tadbir Tak Nahin Pahunchi is a Poem on Inspiration for young students. Share Meri Nawa Meri Tadbir Tak Nahin Pahunchi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.