Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6d38a160d4f86b32fccc7b2eaafc8404, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लिबास तन पे सलामत हैं हाथ ख़ाली हैं - मोहसिन एहसान कविता - Darsaal

लिबास तन पे सलामत हैं हाथ ख़ाली हैं

लिबास तन पे सलामत हैं हाथ ख़ाली हैं

हम एक मुल्क-ए-ख़ुदा-दाद के सवाली हैं

न हम में अक़्ल-ओ-फ़रासत न हिकमत-ओ-तदबीर

मगर है ज़ो'म कि जमइय्यत-ए-मिसाली हैं

मुनाफ़िक़त ने लहू तन में इतना गर्माया

कि गुफ़्तुगू में रिया-कारियाँ सजा ली हैं

ख़ुद अपने आप से कद इस क़दर हमें है कि अब

रिवायतें ही गुलिस्ताँ की फूँक डाली हैं

हमारे दिल हैं अब आमाज-गाह-ए-हिर्स-ओ-हवस

कि हम ने सीनों में तारीकियाँ उगा ली हैं

नशेमनों को उजाड़ा कुछ इस तरह जैसे

कि फ़ाख़ताएँ दरख़्तों से उड़ने वाली हैं

किसी ग़रीब अपाहिज फ़क़ीर की 'मोहसिन'

किसी अमीर ने बैसाखियाँ चुरा ली हैं

(884) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Libas Tan Pe Salamat Hain Hath Khaali Hain In Hindi By Famous Poet Mohsin Ehsan. Libas Tan Pe Salamat Hain Hath Khaali Hain is written by Mohsin Ehsan. Complete Poem Libas Tan Pe Salamat Hain Hath Khaali Hain in Hindi by Mohsin Ehsan. Download free Libas Tan Pe Salamat Hain Hath Khaali Hain Poem for Youth in PDF. Libas Tan Pe Salamat Hain Hath Khaali Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Libas Tan Pe Salamat Hain Hath Khaali Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.