इक तलातुम सा है हर सम्त तमन्नाओं का

इक तलातुम सा है हर सम्त तमन्नाओं का

दिल पे होता है गुमाँ शहर है दरियाओं का

तू भी इक बार मिरी रूह के आईने में

झाँक कर देख तक़द्दुस है कलीसाओं का

हाँ मगर क़त्ल-गह-ए-शौक़ में कुछ और भी थे

हाथ क्यूँ मुझ पे उठा मेरे मसीहाओं का

अब के घनघोर घटा खुल के जो बरसे भी तो क्या

धूप ने रंग ही कजला दिया सहराओं का

अब सर-ए-दश्त-ए-ख़ुद-आराई खड़ा हूँ तन्हा

मैं कि दूल्हा था कभी अंजुमन-आराओं का

'मोहसिन'-एहसान की इस सादा-दिली के सदक़े

धूप में ढूँढता फिरता है मज़ा छाँव का

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Ek Talatum Sa Hai Har Samt Tamannaon Ka In Hindi By Famous Poet Mohsin Ehsan. Ek Talatum Sa Hai Har Samt Tamannaon Ka is written by Mohsin Ehsan. Complete Poem Ek Talatum Sa Hai Har Samt Tamannaon Ka in Hindi by Mohsin Ehsan. Download free Ek Talatum Sa Hai Har Samt Tamannaon Ka Poem for Youth in PDF. Ek Talatum Sa Hai Har Samt Tamannaon Ka is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Talatum Sa Hai Har Samt Tamannaon Ka with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.