Ghazals of Mohsin Ehsan (page 2)
नाम | मोहसिन एहसान |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohsin Ehsan |
जन्म की तारीख | 1933 |
मौत की तिथि | 2010 |
जन्म स्थान | Karachi |
ख़ुद से ना-ख़ुश ग़ैर से बेज़ार होना था हुए
ख़ुद अपनी ज़ात की तश्हीर कू-ब-कू किए जाएँ
ख़ुद अपने आप से ये गिला उम्र भर किया
कैसे कहें दर-ब-दर नहीं हम
इस कड़ी धूप के सन्नाटे में हैरान हुआ
हम भी ज़िंदा हैं अजब काविश-ए-इज़हार के साथ
हवा-ओ-हिर्स की दुनिया में दर-ब-दर हुए हम
हौसला तू ने दिया दुख की पज़ीराई का
गुम इस क़दर हुए आईना-ए-जमाल में हम
फ़क़त काग़ज़ पे लिखा बार-ए-अज़ीयत उतरा
इक तलातुम सा है हर सम्त तमन्नाओं का
दुरुश्त क्यूँ था वो इतना कलाम से पहले
दुखों के दश्त ग़मों के नगर में छोड़ आए
देखा उसे दिल-गीर तो दिल-गीर हुआ मैं
दस्तकें सुनते हैं सब दर खोलता कोई नहीं
छुपे हुए थे जो दिल में वो डर पुराने थे
चार जानिब से सदा आई मिरी
बुझा के रख दे ये कोशिश बहुत हवा की थी
बज़्म में वो सरफ़राज़ी की अलामत ले गए
बहते हुए लम्हों की कहानी ही बदल दे
असीर-ए-हल्का-ए-ज़ंजीर-ए-जाँ हुआ है ये दिल
अक़्ल कहती है कोई ढूँड मफ़र की सूरत
अपने अंदर से जो बाहर निकले
आँख तिश्ना भी नहीं होंट सवाली भी नहीं