बेटे इन को यूँ हैरत से मत देखो
ये अंकल हैं... इन से कोई बात करो
...परसों वाले ठगने थे
कल जो आए थे दुबले थे
और ये मोटे ताज़े हैं
अम्मी आख़िर... मेरे कितने अंकल हैं
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Wasi Shah
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(742) Peoples Rate This
ऐ मसीहाओ अगर चारागरी है दुश्वार
अभी कुछ और भी गर्द-ओ-ग़ुबार उभरेगा
इबलाग़ के लिए न तुम अख़बार देखना
सरों की फ़स्ल काटी जा रही है
रौशनी हैं सफ़र में रहते हैं
अगर यही है शायरी तो शायरी हराम है!
उस से मिल कर उसी को पूछते हैं
ता-देर हम ब-दीदा-ए-तर देखते रहे
एहतिमाम-ए-रसन-ओ-दार से किया होता है
तू कभी ख़ुद को बे-ख़बर तो कर
चाहत में क्या दुनिया-दारी इश्क़ में कैसी मजबूरी
बिछड़ के तुझ से मयस्सर हुए विसाल के दिन