यूँही तो शाख़ से पत्ते गिरा नहीं करते

यूँही तो शाख़ से पत्ते गिरा नहीं करते

बिछड़ के लोग ज़ियादा जिया नहीं करते

जो आने वाले हैं मौसम उन्हें शुमार में रख

जो दिन गुज़र गए उन को गिना नहीं करते

न देखा जान के उस ने कोई सबब होगा

इसी ख़याल से हम दिल बुरा नहीं करते

वो मिल गया है तो क्या क़िस्सा-ए-फ़िराक़ कहें

ख़ुशी के लम्हों को यूँ बे-मज़ा नहीं करते

नशात-ए-क़ुर्ब ग़म-ए-हिज्र के एवज़ मत माँग

दुआ के नाम पे यूँ बद-दुआ नहीं करते

मुनाफ़िक़त पे जिन्हें इख़्तियार हासिल है

वो अर्ज़ करते हैं तुझ से गिला नहीं करते

हमारे क़त्ल पे 'मोहसिन' ये पेश-ओ-पस कैसी

हम ऐसे लोग तलब ख़ूँ-बहा नहीं करते

(2230) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yunhi To ShaKH Se Patte Gira Nahin Karte In Hindi By Famous Poet Mohsin Bhopali. Yunhi To ShaKH Se Patte Gira Nahin Karte is written by Mohsin Bhopali. Complete Poem Yunhi To ShaKH Se Patte Gira Nahin Karte in Hindi by Mohsin Bhopali. Download free Yunhi To ShaKH Se Patte Gira Nahin Karte Poem for Youth in PDF. Yunhi To ShaKH Se Patte Gira Nahin Karte is a Poem on Inspiration for young students. Share Yunhi To ShaKH Se Patte Gira Nahin Karte with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.