एहतिमाम-ए-रसन-ओ-दार से किया होता है

एहतिमाम-ए-रसन-ओ-दार से किया होता है

जिस क़दर ज़ुल्म बढ़े अज़्म सिवा होता है

सौत ओ आहंग ही पैराया-ए-इज़हार नहीं

बे-नवाई में भी अंदाज़-ए-नवा होता है

ग़म-ज़दो दायरा-ए-ग़म से निकल कर देखो

दर्द से दर्द का एहसास बड़ा होता है

इतने बदले गए आदाब कि अब महफ़िल में

दिल की धड़कन पे भी एहसास-ए-सज़ा होता है

रविश-ए-वक़्त से मायूस न हों अहल-ए-नज़र

सानेहा क़िस्मत-ए-अरबाब-ए-वफ़ा होता है

(771) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ehtimam-e-rasan-o-dar Se Kiya Hota Hai In Hindi By Famous Poet Mohsin Bhopali. Ehtimam-e-rasan-o-dar Se Kiya Hota Hai is written by Mohsin Bhopali. Complete Poem Ehtimam-e-rasan-o-dar Se Kiya Hota Hai in Hindi by Mohsin Bhopali. Download free Ehtimam-e-rasan-o-dar Se Kiya Hota Hai Poem for Youth in PDF. Ehtimam-e-rasan-o-dar Se Kiya Hota Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Ehtimam-e-rasan-o-dar Se Kiya Hota Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.