मोहसिन भोपाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहसिन भोपाली
नाम | मोहसिन भोपाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohsin Bhopali |
जन्म की तारीख | 1932 |
मौत की तिथि | 2007 |
जन्म स्थान | Karachi |
ज़िंदगी गुल है नग़्मा है महताब है
उस को चाहा था कभी ख़ुद की तरह
उस से मिल कर उसी को पूछते हैं
सूरज चढ़ा तो फिर भी वही लोग ज़द में थे
सदा-ए-वक़्त की गर बाज़-गश्त सन पाओ
रौशनी हैं सफ़र में रहते हैं
पहले जो कहा अब भी वही कहते हैं 'मोहसिन'
नैरंगी-ए-सियासत-ए-दौराँ तो देखिए
'मोहसिन' और भी निखरेगा इन शेरों का मफ़्हूम
'मोहसिन' अपनाइयत की फ़ज़ा भी तो हो
लफ़्ज़ों को ए'तिमाद का लहजा भी चाहिए
लफ़्ज़ों के एहतियात ने मअ'नी बदल दिए
क्या ख़बर थी हमें ये ज़ख़्म भी खाना होगा
कोई सूरत नहीं ख़राबी की
किस क़दर नादिम हुआ हूँ मैं बुरा कह कर उसे
ख़ंदा-ए-लब में निहाँ ज़ख़्म-ए-हुनर देखेगा कौन
जो मिले थे हमें किताबों में
जाने वाले सब आ चुके 'मोहसिन'
इस लिए सुनता हूँ 'मोहसिन' हर फ़साना ग़ौर से
इबलाग़ के लिए न तुम अख़बार देखना
हमारी जान पे दोहरा अज़ाब है 'मोहसिन'
एक मुद्दत की रिफ़ाक़त का हो कुछ तो इनआ'म
बदन को रौंदने वालो ज़मीर ज़िंदा है
बात कहने की हमेशा भूले
ऐ मसीहाओ अगर चारागरी है दुश्वार
अब के मौसम में ये मेयार-ए-जुनूँ ठहरा है
टेढ़ा सवाल
नेमुल-बदल
अगर यही है शायरी तो शायरी हराम है!
ज़ाविया कोई मुक़र्रर नहीं होने पाता