Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_63a4c6f761ce3ddf79a887d73120a94c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम अपने ज़ेहन पर पहले उसे तारी करेंगे - मोहसिन असरार कविता - Darsaal

हम अपने ज़ेहन पर पहले उसे तारी करेंगे

हम अपने ज़ेहन पर पहले उसे तारी करेंगे

फिर इस के बा'द अपने क़ल्ब को जारी करेंगे

हम अपने ज़ाहिर ओ बातिन का अंदाज़ा लगा लें

फिर उस के सामने जाने की तय्यारी करेंगे

मोहब्बत हम से उस को हो गई तो ठीक वर्ना

हम अपनी साख रखने को अदाकारी करेंगे

अब ऐसी मुफ़्लिसी में क्या कहीं हो आना-जाना

मगर कब तक हम उस से उज़्र-ए-बीमारी करेंगे

मिरे किस काम के हैं अब ये कव्वे और कबूतर

अबस बर्बाद घर की चार-दीवारी करेंगे

बहुत अच्छा तिरी क़ुर्बत में गुज़रा आज का दिन

बस अब घर जाएँगे और कल की तय्यारी करेंगे

यहाँ अब लोग 'मोहसिन' ज़िंदगी करते कहाँ हैं

ज़रा से दुख में रोएँगे अज़ा-दारी करेंगे

(425) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hum Apne Zehn Par Pahle Use Tari Karenge In Hindi By Famous Poet Mohsin Asrar. Hum Apne Zehn Par Pahle Use Tari Karenge is written by Mohsin Asrar. Complete Poem Hum Apne Zehn Par Pahle Use Tari Karenge in Hindi by Mohsin Asrar. Download free Hum Apne Zehn Par Pahle Use Tari Karenge Poem for Youth in PDF. Hum Apne Zehn Par Pahle Use Tari Karenge is a Poem on Inspiration for young students. Share Hum Apne Zehn Par Pahle Use Tari Karenge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.