रिश्ता
कल उस ने पूछ ही डाला
तुम आख़िर कौन हो मेरे
हमारे दरमियाँ
जो इक तअ'ल्लुक़ है
जो रिश्ता है
वो आख़िर कौन सा है
नाम क्या है
कुछ बताओगे
तो मैं ने कह दिया
रिश्ता वही है दरमियाँ अपने
जो आँखों का है नींदों से
जो नींदों का है ख़्वाबों से
जो ख़्वाबों का है रातों से
जो रातों का अँधेरों से
अँधेरों का सितारों से
सितारों का फ़लक से है
फ़लक का चाँद-सूरज से
जो सूरज-चाँद का है इस ज़मीं से
और ज़मीं का पेड़-पौदों से
हवाओं से घटाओं से
घटाओं का बहारों से
बहारों का है फूलों से
जो फूलों का है ख़ुश्बू से
जो ख़ुश्बू का है भौँरों से
जो भौँरों का है कलियों से
जो कलियों का है काँटों से
जो काँटों का है शाख़ों से
जो शाख़ों का जड़ों से है
जड़ों का है जो मिट्टी से
जो मिट्टी का बशर से है
बशर का जो ख़ुदा से है
ख़ुदा का नेक बंदों से
और उन बंदों का ईमाँ से
और ईमाँ का अक़ीदत से
अक़ीदत का मोहब्बत से
मोहब्बत का दिलों से है
वही दिल
जो तेरे सीने में है और मेरे सीने में
मोहब्बत जिस के अंदर है
मोहब्बत का हसीं रिश्ता वही है दरमियाँ अपने
अब इस रिश्ते को कोई नाम देने की ज़रूरत है
(550) Peoples Rate This