कभी कभी
कभी कभी ये दिल करता है
यादें फिर से ताज़ा कर लूँ
कच्चे ज़ख़्मों को फिर ख़र्चों
चीज़ें फेंक शीशा तोड़ूँ
दीवारों से सर टकराऊँ
घर के इक कोने में छुप कर
ज़ानू पर मैं सर को रख कर
आँखों से आँसू टपकाऊँ
आह भरूँ और रोता जाऊँ
रोते रोते तुझ को पुकारूँ
कभी कभी ये दिल करता है
वही पुरानी बुक फिर खोलूँ
जिस के अंदर तेरा इक ख़त रक्खा हुआ है
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