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कुछ नया काम नए तौर से करने के लिए - मोहसिन आफ़ताब केलापुरी कविता - Darsaal

कुछ नया काम नए तौर से करने के लिए

कुछ नया काम नए तौर से करने के लिए

लोग मौक़ा' ही नहीं देते सुधरने के लिए

जाओ जा कर के ग़रीबों के दिलों में झाँको

कितनी बेचैन तमन्नाएँ हैं मरने के लिए

उस पे मरते हो तो फिर दुनिया की पर्वा कैसी

इश्क़ होता है मियाँ हद से गुज़रने के लिए

कोई आसानी से फ़नकार नहीं बनता है

मुद्दतें चाहिए इक फ़न को निखरने के लिए

मुँह उठा कर के फिर आई है ये तौबा तौबा

शब जुदाई की मिरे घर में ठहरने के लिए

किसी दोशीज़ा की ज़ुल्फ़ें ये नहीं क़िस्मत है

वक़्त लगता है बहुत उस को सँवरने के लिए

आज इस बात का एहसास हुआ है मुझ को

ख़्वाब 'मोहसिन' थे मिरे सिर्फ़ बिखरने के लिए

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