लाख जल्वे हैं निगाहों में नज़ारों की तरह

लाख जल्वे हैं निगाहों में नज़ारों की तरह

दिल के गुलशन में वो आए हैं बहारों की तरह

हर घड़ी एक नया रंग नया आलम है

ज़िंदगी है तिरी आँखों के इशारों की तरह

ज़िंदगी फिर किसी तूफ़ान से उलझेगी ज़रूर

होंट ख़ामोश हैं दरिया के किनारों की तरह

कितनी पुर-नूर हुई जाती है अब मंज़िल-ए-शौक़

नक़्श-ए-पा उन के चमकते हैं सितारों की तरह

शोला-ए-इश्क़ का बुझना नहीं आसाँ 'मोहन'

अश्क आँखों से ढलकते हैं शरारों की तरह

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Lakh Jalwe Hain Nigahon Mein Nazaron Ki Tarah In Hindi By Famous Poet Mohan Javidani. Lakh Jalwe Hain Nigahon Mein Nazaron Ki Tarah is written by Mohan Javidani. Complete Poem Lakh Jalwe Hain Nigahon Mein Nazaron Ki Tarah in Hindi by Mohan Javidani. Download free Lakh Jalwe Hain Nigahon Mein Nazaron Ki Tarah Poem for Youth in PDF. Lakh Jalwe Hain Nigahon Mein Nazaron Ki Tarah is a Poem on Inspiration for young students. Share Lakh Jalwe Hain Nigahon Mein Nazaron Ki Tarah with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.