इश्क़ की जन्नत दार के पीछे
इश्क़ की जन्नत दार के पीछे
जीत भी है इस हार के पीछे
पत्थर ताने लोग खड़े हैं
ज़िंदाँ की दीवार के पीछे
धीमी धीमी आहें भी हैं
पायल की झंकार के पीछे
गुलचीं बाग़ को लूट रहा है
फूलों के इक हार के पीछे
सूनी सूनी वीराँ गलियाँ
हर चलते बाज़ार के पीछे
दिल भी कितना सौदाई है
भागे है अफ़्कार के पीछे
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