जाने चली है कैसी हवा सारे शहर में

जाने चली है कैसी हवा सारे शहर में

सोचें हुईं सरों से जुदा सारे शहर में

मेरी हर एक अर्ज़ है ना-मो'तबर यहाँ

उस का हर एक हुक्म रवा सारे शहर में

सरगोशियाँ हैं और झुके सर हैं ख़ौफ़ है

सहमी हुई है ख़ल्क़-ए-ख़ुदा सारे शहर में

बदली मिरी निगाह कि चेहरे बदल गए

कोई भी मो'तबर न रहा सारे शहर में

पिंदार क़ैसरी पे जो ज़र्ब इक लगी तो फिर

कंधों पे कोई सर न रहा सारे शहर में

ख़ामोश हो गए हैं मिरे सारे हम-नवा

ज़िंदा है एक मेरी सदा सारे शहर में

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