हुजूम-ए-ग़म से मसर्रत कशीद करते हैं

हुजूम-ए-ग़म से मसर्रत कशीद करते हैं

कि हम तो ज़हर से अमृत कशीद करते हैं

उन्हों ने पाल रखे हैं ज़माने-भर के ग़म

मिरे लहू से जो इशरत कशीद करते हैं

हमारी फ़िक्र अभी क़ैद है ज़वाहिर में

हम अपने काम से शोहरत कशीद करते हैं

सदाएँ हम ने सुनी हैं जो शहर में उन से

इक एक लफ़्ज़ बग़ावत कशीद करते हैं

मैं उन को देख के हैरत में ग़र्क़ हूँ 'आसी'

वो मेरे हाल से इबरत कशीद करते हैं

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Hujum-e-gham Se Masarrat Kashid Karte Hain In Hindi By Famous Poet Mohammad Yaqoob Aasi. Hujum-e-gham Se Masarrat Kashid Karte Hain is written by Mohammad Yaqoob Aasi. Complete Poem Hujum-e-gham Se Masarrat Kashid Karte Hain in Hindi by Mohammad Yaqoob Aasi. Download free Hujum-e-gham Se Masarrat Kashid Karte Hain Poem for Youth in PDF. Hujum-e-gham Se Masarrat Kashid Karte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Hujum-e-gham Se Masarrat Kashid Karte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.