मोहम्मद विलायतुल्लाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहम्मद विलायतुल्लाह
नाम | मोहम्मद विलायतुल्लाह |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohammad Wilayatullah |
रिंद बेताब हैं घनघोर घटा छाई है
राज़ अपना जो कह दिया तू ने
मिरे सीने से रंज-ओ-ग़म की तुग़्यानी नहीं जाती
मकाँ मेरा अज़ल से ढूँढती फिरती थी वीरानी
हर-वक़्त उलझता है ये दिल ज़ुल्फ़-ए-दोता में
हमारी आज-कल हिम्मत फ़क़त आह-ओ-फ़ुग़ाँ तक है
दिल में मेरे हर घड़ी दरिया-ए-ग़म लबरेज़ है
डरता हूँ अर्ज़-ए-हाल से धोका न हो कहीं
बाक़ी है ताब-ए-ज़ब्त न ताक़त फ़ुग़ाँ की है
बात तुम्हारी आज तक कोई हुई है कब ग़लत
आश्ना-ए-दर्द तू ऐ ख़ूगर-ए-इशरत नहीं