तसव्वुर में ये कौन आया ज़बाँ पर किस का नाम आया
तसव्वुर में ये कौन आया ज़बाँ पर किस का नाम आया
नशात-ए-रूह का हर इक नफ़स ले कर पयाम आया
वफ़ूर-ए-बे-खु़दी में एक ऐसा भी मक़ाम आया
न दुनिया मेरे काम आई न मैं दुनिया के काम आया
अक़ीदत से जबीं झुक झुक गई राह-ए-मोहब्बत में
जहाँ उन का ख़याल आया जहाँ उन का मक़ाम आया
ज़माने को तो दुनिया-भर की ख़ुशियाँ बख़्श दीं तू ने
मिरे हिस्से में आया भी तो सोज़-ए-ना-तमाम आया
रहा कुछ होश भी बाक़ी तो उन के हुस्न-ए-ज़ेबा का
अगर आया तो लब पर बे-ख़ुदी में उन का नाम आया
ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-दुनिया ग़म-ए-हस्ती ग़लत ठहरे
जहाँ की गर्दिशें ठहरीं जहाँ गर्दिश में जाम आया
निगाहों पर जमाल-ए-दोस्त पर्दा बन के छाता है
सँभलना देखना 'आरिफ़' बड़ा मुश्किल मक़ाम आया
(568) Peoples Rate This