Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5088949581c25ce99b45be014720fe83, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
नज़्ज़ारा-ए-निगाह का उनवाँ बदल गया - मोहम्मद सिद्दीक़ साइब टोंकी कविता - Darsaal

नज़्ज़ारा-ए-निगाह का उनवाँ बदल गया

नज़्ज़ारा-ए-निगाह का उनवाँ बदल गया

वो क्या गए कि रंग-ए-गुलिस्ताँ बदल गया

जोश-ए-जुनून-ए-इश्क़ का सामाँ बदल गया

दामाँ पे हाथ था कि गरेबाँ बदल गया

महसूस कर रहा हूँ हर इंसाँ को अजनबी

वो क्या बदल गए कि हर इंसाँ बदल गया

गुज़रा हर इंक़लाब से दौर-ए-जुनूँ मगर

दामाँ बदल गया कि गरेबाँ बदल गया

वहशत-नवाज़ अब वो नज़ारे नहीं रहे

नज़रें बदल गईं कि बयाबाँ बदल गया

इस चश्म-ए-इल्तिफ़ात का आलम न पूछिए

अक्सर निज़ाम-ए-गर्दिश-ए-दौराँ बदल गया

क्या जाने 'साइब' आज ये दौरान-ए-अर्ज़-ए-शौक़

क्यूँ दफ़अ'तन वो चेहरा-ए-ख़ंदाँ बदल गया

(565) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nazzara-e-nigah Ka Unwan Badal Gaya In Hindi By Famous Poet Mohammad Siddiq Saib Tonki. Nazzara-e-nigah Ka Unwan Badal Gaya is written by Mohammad Siddiq Saib Tonki. Complete Poem Nazzara-e-nigah Ka Unwan Badal Gaya in Hindi by Mohammad Siddiq Saib Tonki. Download free Nazzara-e-nigah Ka Unwan Badal Gaya Poem for Youth in PDF. Nazzara-e-nigah Ka Unwan Badal Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Nazzara-e-nigah Ka Unwan Badal Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.