हम ने माना हमें बर्बाद करेगी दुनिया
हम ने माना हमें बर्बाद करेगी दुनिया
कर के बर्बाद मगर याद करेगी दुनिया
जब उसे ज़ुल्म-ओ-सितम ही में मज़ा आता है
किसी नाशाद को क्या शाद करेगी दुनिया
देखना ये है कि हम अहल-ए-जुनूँ पर कब तक
नित नए तर्ज़ की बेदाद करेगी दुनिया
आज तू अपनी करामात पे इतराती है
कल मगर आप ही फ़रियाद करेगी दुनिया
दुश्मनी है उसे अरबाब-ए-वफ़ा से लेकिन
ये न होंगे तो इन्हें याद करेगी दुनिया
नहीं मा'लूम यूँही ख़ुद को कहाँ तक 'मंशा'
क़ैद-ए-अख़लाक़ से आज़ाद करेगी दुनिया
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