दिल को हर ऐश से बेगाना बना कर छोड़ा
दिल को हर ऐश से बेगाना बना कर छोड़ा
तुम ने आख़िर इसे दीवाना बना कर छोड़ा
दो निगाहों का तसादुम तो कोई बात न थी
उस का भी लोगों ने अफ़्साना बना कर छोड़ा
सेहन-ए-गुलशन में तरब-ख़ेज़ बहार आते ही
हम ने हर फूल को पैमाना बना कर छोड़ा
सैकड़ों तरह के बुत इस में इकट्ठा कर के
का'बा-ए-दिल को भी बुत-ख़ाना बना कर छोड़ा
आलम-ए-शौक़ में परवाज़ के मतवालों को
अज़्म-ए-बेबाक ने परवाना बना कर छोड़ा
दिल का थोड़ा सा लहू इस में मिला कर हम ने
अश्क-ए-बे-दर्द को दुर्दाना बना कर छोड़ा
'मंशा' इस दौर में हस्ती की गिराँबारी ने
अच्छे-अच्छों को भी दीवाना बना कर छोड़ा
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