Ghazals of Mohammad Khalid
नाम | मोहम्मद ख़ालिद |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohammad Khalid |
उजड़े हुए हैं शहर के दीवार-ओ-दर न जा
फिर कोई ख़्वाब तिरे रंगों से जुदा नहीं देखा
महजूर कोई बात दिलेराना लिखेगा
हम शेर सुनाते हैं मफ़्हूम तुम्हारा है
है सफ़र में कारवान-बहर-ओ-बर किस के लिए
ग़ज़ल अपनी रिवायत है ग़ज़ल तहज़ीब से होगी
इक रब्त था ब-रंग-ए-दिगर भी नहीं रहा
चलते चलते यूँही क़दम जब डोलता है