मोहम्मद ख़ालिद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहम्मद ख़ालिद
नाम | मोहम्मद ख़ालिद |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohammad Khalid |
ये क़िस्सा-ए-जाँ यूँ ही मशहूर नहीं होता
पहले सब आवाज़ें इक शोर में ढलती हैं
कौन सुनता है हवाओं की अजब सरगोशियाँ
कफ़-ए-सैय्याद दाम-ए-ख़ुश-नुमा ज़ंजीर ओ ज़िंदाँ तक
हाँ मैं शिकस्ता-दिल हूँ मगर आइना तो हूँ
छूटे हैं ऐसे बार-ए-सफ़र से तमाम लोग
अव्वल-ए-इश्क़ की साअत जा कर फिर नहीं आई
उजड़े हुए हैं शहर के दीवार-ओ-दर न जा
फिर कोई ख़्वाब तिरे रंगों से जुदा नहीं देखा
महजूर कोई बात दिलेराना लिखेगा
हम शेर सुनाते हैं मफ़्हूम तुम्हारा है
है सफ़र में कारवान-बहर-ओ-बर किस के लिए
ग़ज़ल अपनी रिवायत है ग़ज़ल तहज़ीब से होगी
इक रब्त था ब-रंग-ए-दिगर भी नहीं रहा
चलते चलते यूँही क़दम जब डोलता है