मैं मोअल्लिम हूँ कि तदरीस है मेरा शेवा
मैं मोअल्लिम हूँ कि तदरीस है मेरा शेवा
ना-मोहज़्ज़ब को मैं तहज़ीब की ज़ौ देता हूँ
मेरी हस्ती है 'ज़िया' ख़ल्क़ ओ मुरव्वत का चराग़
मैं ज़माने को नए अज़्म की लौ देता हूँ
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मैं मोअल्लिम हूँ कि तदरीस है मेरा शेवा
ना-मोहज़्ज़ब को मैं तहज़ीब की ज़ौ देता हूँ
मेरी हस्ती है 'ज़िया' ख़ल्क़ ओ मुरव्वत का चराग़
मैं ज़माने को नए अज़्म की लौ देता हूँ
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