हुस्न के राज़-ए-निहाँ शरह-ए-बयाँ तक पहुँचे
हुस्न के राज़-ए-निहाँ शरह-ए-बयाँ तक पहुँचे
आँख से दिल में गए दिल से ज़बाँ तक पहुँचे
दिल ने आँखों से कही आँखों ने दिल सी कह दी
बात चल निकली है अब देखें कहाँ तक पहुँचे
इश्क़ पहले ही क़दम पर है यक़ीं से वासिल
इंतिहा अक़्ल की ये है कि गुमाँ तक पहुँचे
का'बा-ओ-दैर में तो लोग हैं आते-जाते
वो न लौटे जो दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ तक पहुँचे
आँख से आँख कहे दिल से हों दिल की बातें
वाए वो अर्ज़-ए-तमन्ना जो ज़बाँ तक पहुँचे
(851) Peoples Rate This