कल आज से बेहतर हो आओ ये दुआ माँगें
कल आज से बेहतर हो आओ ये दुआ माँगें
मंसूर-ओ-मुज़फ़्फ़र हो आओ ये दुआ माँगें
दुनिया की फ़सीलों पर हों अम्न की रानाई
ने ख़ून न ख़ंजर हो आओ ये दुआ माँगें
हैं चाह में इक़रा की इस इल्म-ए-दो-आलम में
हर क़तरा समुंदर हो आओ ये दुआ माँगें
जो तफ़रक़े हम में है नश्तर के मुमासिल है
अब दूर ये नश्तर हो आओ ये दुआ माँगें
छोटा न बड़ा कोई बंदे हैं सभी रब के
आली न हो कमतर हो आओ ये दुआ माँगें
सालेह था अमल जब तक सरदार रहे हम ही
फिर हम में अमल-गर हो आओ ये दुआ माँगें
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